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सम्पूर्ण सुसमाचार
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इस पुस्तक में से लिए हुए कुछ अंश...
... अनेक विश्वासी बहुत असुरक्षित होते हैं वे हमेशा ऐसे अनिश्चय में रहते हैं कि परमेश्वर उनके
पार्थिव जीवन की यात्रा में, आधे रास्ते तक ले जाने के बाद, उन्हें यह कहते हुए फेंक देगा, "बस, मैं तुमसे तंग आ चुका हूँ।" इसलिए वे हमेशा ही परमेश्वर को प्रसन्न करने के लिए कुछ-न-कुछ करने की कोशिश करते रहते हैं शायद मसीही काम के लिए थोड़ा ज़्यादा पैसा देने लगते हैं, या ज़्यादा प्रार्थना-उपवास करने लगते हैं कि वे अपने पिता द्वारा स्वीकार किए जा सकें...
... अगर हमारे उद्धार में हमारे कामों का मामूली सा भी हिस्सा होता, तो हमारे पास घमण्ड करने का कुछ आधार होता। लेकिन क्योंकि वह पूरी तरह से परमेश्वर का काम है, इसलिए हम सारी महिमा उसको ही देते हैं। इसलिए हममें से कोई एक-दूसरे के सामने कोई बड़ाई नहीं कर सकता। जो भी गर्व करते हैं, उन्हें इफिसियों अध्याय 2 की शिक्षा समझ नहीं आई है।....
... मसीह के लहू द्वारा, हम परमेश्वर की उपस्थिति में पहुँचाए जाते हैं (इफिसियों. 2:13)।
परमेश्वर ऐसी अगम्य ज्योति में रहता है जिसमें कोई मनुष्य कभी प्रवेश नहीं कर सकता। हमारे जीवनों के अंत तक, उसकी उपस्थिति में सिर्फ लहू के द्वारा ही आया जा सकता है। हम चाहे कितने भी संत-समान बन जाएं, लेकिन हमारा परमेश्वर की उपस्थिति में आना हमेशा मसीह के लहू के द्वारा ही होगा। अनेक विश्वासी सचेत पापों पर जय पाने के बाद यह भूल जाते हैं और इस वजह से वे अंततः फरीसी बन जाते हैं।...
...परमेश्वर का वचन वह माध्यम है जिसके द्वारा हम परमेश्वर के मन को समझ सकते हैं। वचन
के अधीन होने के द्वारा, हम अपने मनों को नया कर सकते हैं जिससे हमारा सोचने का तरीका भी परमेश्वर के सोचने के तरीके जैसा बन सकता है, और हम "सब बातों को परमेश्वर के नज़रिए से वाले" बन सकते हैं (कुलुस्सियों. 1:9- भावानुवाद) ।...
लेखक के विषय में
जैक व ऐनी पूनन पिछले 42 सालों से भारत में प्रभु की सेवा कर रहे हैं, और उन्होंने भारत और विदेशों में शिष्य बनाने, व कलीसियाएं स्थापित करने के द्वारा प्रभु यीशु की कलीसिया का निर्माण किया है। जैक भूतपूर्व नौसेना अधिकारी हैं। ऐनी एक मेडिकल डॉक्टर हैं। इनके चार विवाहित पुत्र हैं, जो सभी प्रभु यीशु के शिष्य हैं।
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